Gold Rate: इस वर्ष सोने के दामों में जो तेजी देखी गई है, वह पिछले कई दशकों में देखी गई सबसे अधिक वृद्धि में से एक है। एमसीएक्स पर सोने की कीमत 99,493 रुपये के निचले स्तर से 100,681 रुपये के उच्चतम स्तर तक पहुंच गई, जो एक ऐतिहासिक मील का पत्थर माना जा रहा है। यह वृद्धि न केवल निवेशकों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि आम लोगों के लिए भी सोने की खरीदारी को महंगा बना रही है।
पारंपरिक रूप से भारत में सोना शादी-विवाह और त्योहारों के समय खरीदा जाता है, लेकिन बढ़ती कीमतों के कारण यह आम जनता की पहुंच से दूर होता जा रहा है। उपभोक्ता उच्च और अस्थिर कीमतों के कारण सोने के आभूषण खरीदने में झिझक रहे हैं, जिससे पारंपरिक मांग में गिरावट देखी जा रही है।
वैश्विक कारकों का प्रभाव
सोने की कीमतों में वृद्धि के पीछे कई वैश्विक कारक जिम्मेदार हैं। मध्यपूर्व में बढ़ते तनाव, विशेषकर इजराइल-ईरान संघर्ष, ने निवेशकों को सुरक्षित निवेश विकल्पों की तलाश करने पर मजबूर किया है। ऐसे समय में सोना हमेशा से एक सुरक्षित आश्रय के रूप में देखा जाता रहा है।
अमेरिकी मुद्रास्फीति में कमी के संकेत और ब्याज दरों में संभावित कटौती की उम्मीदों ने भी सोने की मांग को बढ़ाया है। जब ब्याज दरें कम होती हैं, तो सोना जैसी गैर-उत्पादक संपत्तियां अधिक आकर्षक हो जाती हैं। पिछले महीने की तुलना में सोने की कीमत में 7.72% की वृद्धि हुई है, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।
केंद्रीय बैंकों की भूमिका
दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपने स्वर्ण भंडार में लगातार वृद्धि कर रहे हैं। विशेषकर चीन और रूस जैसे देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा बड़े पैमाने पर सोने की खरीदारी की जा रही है। यह रणनीति अपने विदेशी मुद्रा भंडार को विविधीकृत करने और डॉलर पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से अपनाई जा रही है।
भारतीय सोना ईटीएफ ने दिसंबर में लगातार आठवें महीने शुद्ध प्रवाह दर्ज किया, जो दर्शाता है कि घरेलू निवेशक भी सोने को एक बेहतर निवेश विकल्प के रूप में देख रहे हैं। हालांकि यह प्रवाह जून 2024 के बाद से सबसे कम था, फिर भी यह सोने में निरंतर रुचि को दर्शाता है।
बैंक ऑफ अमेरिका के विश्लेषकों का मानना है कि अगले 12 महीनों में सोना 4,000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है। यदि यह अनुमान सही साबित होता है, तो भारतीय रुपये में सोने की कीमत 1,23,000 रुपये प्रति दस ग्राम से भी अधिक हो सकती है। यह एक चौंकाने वाला आंकड़ा है जो सोने को और भी महंगा बना देगा।
हालांकि, कुछ वित्तीय विश्लेषक मानते हैं कि 2025 की आने वाली तिमाहियों में सोने की कीमतों में गिरावट हो सकती है। इसके पीछे अमेरिकी डॉलर में मजबूती, संभावित ब्याज दर वृद्धि, और कम मांग जैसे कारक हो सकते हैं।
निवेशकों के लिए सुझाव
वर्तमान परिस्थितियों में निवेशकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। सोने में निवेश करते समय बाजार की अस्थिरता और दीर्घकालिक रुझानों को ध्यान में रखना जरूरी है। यदि कीमतें गिरती हैं, तो यह दीर्घकालिक निवेशकों के लिए एक अच्छा अवसर हो सकता है।
भारतीय बाजार में सोने की मांग त्योहारी सीजन और शादी-विवाह के दौरान बढ़ती है। इन समयों में कीमतों में और भी तेजी देखी जा सकती है। निवेशकों को चाहिए कि वे बाजार के रुझानों का बारीकी से अध्ययन करें और विविधीकृत पोर्टफोलियो बनाए रखें।
अस्वीकरण: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे निवेश सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। सोने में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लें। बाजार जोखिमों के अधीन है और पिछला प्रदर्शन भविष्य के परिणामों की गारंटी नहीं है।