Old Pension Scheme: पुरानी पेंशन योजना भारत में सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम है जो सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय स्थिरता प्रदान करती है। इस योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों को उनकी अंतिम मूल वेतन का पचास प्रतिशत हिस्सा हर महीने पेंशन के रूप में मिलता था। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि कर्मचारियों को अपनी सैलरी में से कोई योगदान नहीं देना पड़ता था और पूरी जिम्मेदारी सरकार की होती थी। यह योजना पे एज यू गो के सिद्धांत पर काम करती थी जिसका अर्थ यह था कि वर्तमान कर्मचारियों के करों से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन दी जाती थी।
नेशनल पेंशन स्कीम में बदलाव और कारण
वर्ष 2004 में केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को नेशनल पेंशन स्कीम से बदल दिया था। इस बदलाव का मुख्य कारण सरकार पर बढ़ता वित्तीय बोझ था। नेशनल पेंशन स्कीम एक परिभाषित अंशदान वाली योजना है जिसमें कर्मचारी अपनी मूल सैलरी और महंगाई भत्ते का दस प्रतिशत योगदान देते हैं जबकि सरकार चौदह प्रतिशत का योगदान करती है। इस धनराशि को बाजार से जुड़े निवेशों में लगाया जाता है और सेवानिवृत्ति के समय पेंशन की राशि बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करती है। इसमें बाजार का जोखिम और अनिश्चितता शामिल है जिसकी वजह से कर्मचारी संगठन लगातार पुरानी पेंशन योजना की वापसी की मांग करते रहे हैं।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम की घोषणा
24 अगस्त 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम को मंजूरी दी जो एक अप्रैल 2025 से लागू होने वाली थी। इस योजना को नेशनल पेंशन स्कीम और पुरानी पेंशन योजना के बीच का रास्ता माना गया है। इसके तहत पच्चीस साल की सेवा के बाद कर्मचारियों को अंतिम मूल वेतन का पचास प्रतिशत पेंशन मिलेगी। न्यूनतम दस हजार रुपए की पेंशन की गारंटी है और महंगाई भत्ते में समय-समय पर बढ़ोतरी भी मिलेगी। हालांकि इसमें भी कर्मचारियों को दस प्रतिशत और सरकार को अठारह दशमलव पांच प्रतिशत का योगदान देना होगा। कर्मचारी की मृत्यु पर परिवार को पेंशन का साठ प्रतिशत हिस्सा मिलेगा।
राज्यों में पुरानी पेंशन योजना की वापसी
कई गैर भाजपा शासित राज्यों ने अपने यहां पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का फैसला किया है। छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में सरकारी कर्मचारियों को अब पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने जून में ट्वीट करके बताया कि उनकी कैबिनेट ने सरकारी कर्मचारियों के हित में पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया है। इसी तरह कर्नाटक में भी पुरानी पेंशन योजना को लेकर महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। ये राज्य सरकारें मानती हैं कि पुरानी पेंशन योजना कर्मचारियों के लिए अधिक फायदेमंद है।
विशेष परिस्थितियों में पुरानी पेंशन का विकल्प
केंद्र सरकार ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी करके कुछ विशेष परिस्थितियों में नेशनल पेंशन स्कीम के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का विकल्प चुनने की अनुमति दी है। यदि किसी सरकारी कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है या विकलांगता के कारण सेवा से मुक्त कर दिया जाता है तो वह कर्मचारी या उसका परिवार पुरानी पेंशन योजना का लाभ उठा सकता है। इसके लिए निर्धारित फॉर्म भरकर जमा करना होगा। राजस्थान सरकार ने भी इसी तरह का आदेश जारी किया है जो एक आईएएस अधिकारी की मृत्यु के बाद लागू किया गया था।
योजना के फायदे और नुकसान
पुरानी पेंशन योजना के कई फायदे हैं जैसे सेवानिवृत्ति के बाद निश्चित आय की गारंटी, बढ़ती महंगाई में वित्तीय सुरक्षा और कर्मचारी संगठनों की मजबूत मांग। यह वृद्ध नागरिकों के लिए एक मजबूत सामाजिक सुरक्षा कवच का काम करती है। हालांकि इसके कुछ नुकसान भी हैं जैसे सरकार पर दीर्घकालिक वित्तीय बोझ, वर्तमान कर्मचारियों के करों से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन देने से युवा पीढ़ी पर बोझ और राज्यों की वित्तीय स्थिति पर तनाव। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी इस संबंध में चिंता जताई है।
भविष्य की संभावनाएं और सुझाव
आने वाले समय में महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में पुरानी पेंशन योजना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा बन सकती है। केंद्र सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम के माध्यम से कर्मचारियों की मांगों और वित्तीय स्थिरता के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया है। सरकारी कर्मचारियों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी पेंशन योजना का चुनाव सोच समझकर करें और सरकार को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी नई योजना दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ हो और वर्तमान पीढ़ी पर अनावश्यक बोझ न डाले।
अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। पेंशन योजनाओं की शर्तें, नियम और क्रियान्वयन में समय-समय पर बदलाव हो सकते हैं। किसी भी निर्णय लेने से पहले कृपया संबंधित सरकारी विभाग की आधिकारिक वेबसाइट से नवीनतम जानकारी प्राप्त करें। लेखक इस जानकारी की सटीकता की पूर्ण गारंटी नहीं देता है और पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी व्यक्तिगत स्थिति के अनुसार विशेषज्ञों से सलाह लें।